Wednesday, January 2, 2019

विक्रम संवत और शक संवत

             तो कैसे हैं दोस्तों पिछले आर्टिकल में हमने देखा कि  इसवी सन कैसे शुरू हुआ और किसने शुरू किया। आज हम देखेंगे के हिंदुओं का विक्रम संवत और शक संवत कैसे शुरू हुआ, वैसे तो हिंदू धर्म में और भी कई संवत है पर ज्यादातर यह दो संवत ही प्रचलन में है।
            जैसे इसवी सन क्रिश्चियन का कैलेंडर है वैसे ही विक्रम संवत और शक संवत हिंदू का कैलेंडर है। हिंदू पंचांग में समय गणना की प्रणाली विक्रम संवत और शक संवत है।

 विक्रम संवत

              विक्रम संवत ईशा पूर्व 57 में शुरू होता है। यानी कि यह ईसवी सन् से आगे चल रहा है। धर्मपाल भूमि वर्मा विक्रमादित्य को इसका प्रणेता माना जाता है। यह भी मान्यता है कि विक्रम संवत भारतवर्ष के सम्राट विक्रमादित्य ने शुरू किया था, लेकिन उनके जीवन काल का समय देखा जाए तो समय गणना में वह सही नहीं रहता,क्योंकि मगध के सम्राट चंद्रगुप्त द्वितीय ने उज्जैनी और अयोध्या पर विजय प्राप्त किया और खुद को सम्राट विक्रमादित्य की उपाधि दी और उनका जीवन काल देखा जाए उससे पहले विक्रमादित्य सम्राट का कोई उल्लेख नहीं मिलता है। इसलिए गुजरात के खोजकर्ता पंडित भगवानलाल इंद्रजीत ने धर्मपाल भूमि वर्मा विक्रमादित्य को इसका खोजकर्ता यानी शुरू करने वाला ठहराया है।
            एक मान्यता यह भी है कि राजा विक्रमादित्य ने अपनी संपूर्ण प्रजा का ऋण चुका कर इस संवत की शुरुआत की थी। पौराणिक कथा के अनुसार चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की पहले दिन को ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना आरंभ की थी। इसलिए हिंदू इस तिथिको नव वर्ष का आरंभ मानते है। और इसी दिन से नवरात्रि भी शुरू होती है।
          1साल का 12 महीना और 1 सप्ताह का 7 दिन रखने का प्रचलन विक्रम संवत से शुरू हुआ। हर महीने का हिसाब सूर्य और चंद्रमा की गति पर रखा जाता है। यानी कि 12 राशिया 12 सौर मास है। जिस दिन सूर्य जिस राशि में प्रवेश करता है उस दिन की संक्रांति होती है। पूर्णिमा के दिन चंद्रमा जिस नक्षत्र में होता है उसी आधार पर महीनों का नामकरण हुआ है। चंद्र वर्ष सौर वर्ष से 11 दिन 3 घाटी 48 पल छोटा है इसलिए हर 3 वर्ष में इसमें एक महीना जोड़ दिया जाता है, जिसको हम अधिक मास या पुरुषोत्तम मास कहते हैं।
यह संवत नेपाल का अधिकारिक संवत है ,आज भी नेपाल में यही राष्ट्रीय संवत है।

शक संवत

              सक संवत भारत का प्राचीन संवत है जो 78 इसवी सी आरंभहोता है।यानी कि यह ईस्वी से पीछे चल रहा है। संवत को भारत का राष्ट्रीय संवत माना जाता है ।शक संवत के विषय में खोज कर्ताओं का मत है कि उसे उज्जैनी के क्षत्रप चेस्टन ने प्रचलित किया था। वैसे एक मान्यता यह भी है कि इसका आरंभ कुषाण राजा कनिक्स महान ने अपने राज्य आरोहण को उत्सव के रूप में मनाने और उस तिथि को यादगार बनाने के लिए इसका आरंभ किया था। सक राजाओ को चंद्रगुप्त विक्रमादित्य ने समाप्त कर दिया पर उनका स्मारक शक संवत वह नहीं मिटा पाए और भारतवर्ष में आज भी वही चल रहा है।
 इस संवत की पहली तिथि चित्र के शुक्ल पक्ष की प्रथमा है। यह  संवत अन्य संवत की तुलना में कहीं अधिक वैज्ञानिक और त्रुटि हिंन है। यह संवत प्रत्येक वर्ष मार्च की 22 को शुरू होता है क्योंकि इस दिन सूर्य विषुवत रेखा के ऊपर होता है। इसी कारण दिन और रात बराबर के समय के होते हैं। लीप ईयर होने पर यह संवत 23 मार्च को शुरू होता है।और इसमें 366 दिन होते हैं।
            इस साल18 मार्च 2018 को शक संवत  2075 का प्रथम दिन था। जिस दिन नव संवत का आरंभ हुआ था उस दिन के वार के अनुसार उस वर्ष का राजा निर्धारित किया जाता है। जैसे कि 18 मार्च 2018 को रविवार होने से इस वर्ष का राजा सूर्य माना जाता है

विक्रम संवत और शक संवत में अंतर

वैसे तो शक संवत और विक्रम संवत के महीनों के नाम एक ही है और दोनों संवत मैं शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष भी है। वैसे शक संवत चैत्र मास से शुरू होते है। और विक्रम संवत कार्तिक माह से शुरू होता है। इन दोनों संवादों में अंतर सिर्फ दोनों के शुरू होने का है। विक्रम संवत में नया महीना अमावस्या के बाद के बाद की शुक्ल पक्ष की प्रथमा से शुरू होता है। और शक संवत में नया महीना पूर्णिमा के बाद कृष्ण पक्ष से शुरू होता है। इसी कारण इन दोनों संवत में तिथियों में 15 दिन का अंतर रहता।         

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